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क्या लिखुं?

मेरा जागरण
मेरा जागरण
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मेरा जागरण इस स्तंभ मे रोज कुछ-न-कुछ लिखना चाहता हूं। सोचता हूं कि क्या लिखुं?

Medals and riots

पंगे से भले दंगे इस लेख मे राष्ट्रपति पदक वितरण व्यवस्था से नाराज रियाज भाई इस व्यवस्था में परिवर्तन की बात कहते है। दो बाते सामने आती हैं। एक तो यह कि इन पदको का वितरण तुरंत्त बंद कर दिया जाना चाहिये। दुसरी अपेक्षा हमारी मिडिया से है। मिडिया स्वयं इमानदार अफसरों के बारे मे बार- बार लिखे। पीसी मीणा, हरिराम शर्मा, के एस प्रताप, राजा श्रीवास्तव इ. नामों को प्रसिदधी देकर  उनपर आरोप लगाये गये हैं कि वे पदक के लायक नही हैं। क्या किसी के कार्यकालमे दंगे हो जाना उनका गुनाह है? मिडिया अब अपने आपको कोर्ट समझने लगॊ है। तो फिर कया जरूरत है अदालतों की। और क्या बेईमान लोगों को मिडिया मे हुयी बदनामी से कोई फरक पडता है। कतई नही।

Riot Control
Image by Steve Crane via Flickr

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